🔶 ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है?ऑप्शन ट्रेडिंग एक प्रकार का डेरिवेटिव ट्रेडिंग है, जिसमें आप किसी एसेट (जैसे स्टॉक, इंडेक्स आदि) को एक तय कीमत पर एक तय समय के भीतर खरीदने या बेचने का अधिकार खरीदते हैं, लेकिन यह कोई ज़रूरी कर्तव्य नहीं होता।

ऑप्शन ट्रेडिंग एक प्रकार का डेरिवेटिव ट्रेडिंग है, जिसमें आप किसी एसेट (जैसे स्टॉक, इंडेक्स आदि) को एक तय कीमत पर एक तय समय के भीतर खरीदने या बेचने का अधिकार खरीदते हैं, लेकिन यह कोई ज़रूरी कर्तव्य नहीं होता।

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🔷 1. मुख्य शब्दावली (Basic Terms in Hindi)

अंग्रेज़ी शब्दहिंदी अर्थ
Optionएक ऐसा अनुबंध जो किसी एसेट को ख़रीदने या बेचने का अधिकार देता है
Call Optionकिसी एसेट को एक तय कीमत पर खरीदने का अधिकार
Put Optionकिसी एसेट को एक तय कीमत पर बेचने का अधिकार
Strike Priceवह कीमत जिस पर ऑप्शन को एक्सरसाइज किया जा सकता है
Premiumऑप्शन खरीदने की कीमत
Expiry Dateवह अंतिम तारीख जब तक ऑप्शन को इस्तेमाल किया जा सकता है
Underlying Assetवह असली स्टॉक या इंडेक्स जिस पर ऑप्शन आधारित होता है

🔷 2. ऑप्शन के प्रकार

प्रकारविवरण
अमेरिकन ऑप्शनएक्सपायरी से पहले कभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है
यूरोपियन ऑप्शनकेवल एक्सपायरी की तारीख पर ही इस्तेमाल किया जा सकता है

🔷 3. ऑप्शन में भाग लेने वाले

व्यक्तिभूमिका
Call Buyer (खरीदार)एसेट को खरीदने का अधिकार खरीदता है
Call Seller (बेचने वाला)अगर खरीदार एक्सरसाइज करे तो उसे एसेट बेचना होता है
Put Buyerएसेट को बेचने का अधिकार खरीदता है
Put Sellerअगर खरीदार एक्सरसाइज करे तो उसे एसेट खरीदना होता है

🔷 4. ऑप्शन ट्रेडिंग क्यों करें?

  • 🔹 Hedging (जोखिम से बचाव) – पहले से खरीदे गए स्टॉक्स की सुरक्षा के लिए
  • 🔹 Speculation (कयास लगाना) – कीमत बढ़ेगी या गिरेगी, उस पर दांव लगाना
  • 🔹 Income (कमाई) – ऑप्शन बेचकर प्रीमियम कमाना

🔷 5. सामान्य ऑप्शन ट्रेडिंग रणनीतियाँ (Strategies)

रणनीतिउपयोग
Covered Callस्टॉक होल्ड करके कॉल ऑप्शन बेचना
Protective Putस्टॉक होल्ड करके पुट खरीदना (रक्षा के लिए)
Straddleएक ही स्ट्राइक पर कॉल और पुट खरीदना (वोलैटिलिटी खेल)
Iron Condorसीमित लाभ और सीमित जोखिम वाली रणनीति
Vertical Spreadएक ही प्रकार के दो ऑप्शन अलग स्ट्राइक प्राइस पर

🔷 6. ऑप्शन की कीमत किन बातों पर निर्भर करती है?

  1. Intrinsic Value – अगर आज एक्सरसाइज किया जाए तो कितना फायदा होगा
  2. Time Value – एक्सपायरी जितनी दूर, प्रीमियम उतना ज़्यादा
  3. Volatility (वोलैटिलिटी) – उतार-चढ़ाव जितना ज़्यादा, प्रीमियम भी उतना ही ज़्यादा
  4. Interest Rate और Dividends भी कीमत को प्रभावित करते हैं

🔷 7. लाभ और नुकसान (Profit & Loss)

ऑप्शनलाभ की स्थिति
Call Buyerअगर स्टॉक की कीमत स्ट्राइक प्राइस + प्रीमियम से ऊपर जाए
Put Buyerअगर स्टॉक की कीमत स्ट्राइक प्राइस – प्रीमियम से नीचे जाए
Call Sellerअगर स्टॉक की कीमत स्ट्राइक प्राइस से नीचे रहे
Put Sellerअगर स्टॉक की कीमत स्ट्राइक प्राइस से ऊपर रहे

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